Characters:
- राजू (Raju) - मुस्कान भरा आदमी (Jovial man)
- कृष्णा (Krishna) - उतावला पौधा (Enthusiastic plant)
- मोहन (Mohan) - सजग पड़ोसी (Attentive neighbor)
Setting: Raju's balcony with a potted plant (Krishna) on one side and Mohan's balcony on the other.
(दृश्य 1: सुबह का समय। राजू अपने बालकनी में पौधे के पास खड़ा है।)
आवाज़: आओ बिलकुल तैयार हो जाओ, आज एक नया दिन है।
(राजू धीरे से पौधे को देखता है और धीरे से उससे बात करता है।)
राजू: (मुस्कराते हुए) अरे कृष्णा, कैसे हो बच्चू? तुम्हारी देखभाल में कोई कमी नहीं होने दूंगा।
(अचानक, मोहन अपनी बालकनी में दिखते हैं।)
मोहन: (मुस्कराते हुए) नमस्कार, राजू भाई। कैसे हो?
राजू: (खुशी से) हां, मैं ठीक हूँ। तुम बताओ।
मोहन: (हंसते हुए) हां, सब ठीक। वैसे, तुम्हारे इस पौधे का क्या कर रहे हो?
राजू: (अभिवादन करते हुए) ये कृष्णा है। मेरा नया मित्र। इसे एक प्यारी सी किस्मत बना दिया है।
मोहन: (अचंभित होकर) किस्मत? कैसे?
राजू: हां, इसका ध्यान रखना मेरे लिए बड़ी खुशियों का सबब बन गया है। इसे देखकर मन तृप्त हो जाता है।
मोहन: (चकित होकर) वाह! ऐसा कैसे?
राजू: (उत्साहपूर्वक) देखो, यह पौधा मेरी हर खुशी और दुख में मेरे साथ रहता है। जैसे मैं इसे देखता हूं, वैसे ही यह खिल जाता है। ये मेरे लिए एक सच्चा दोस्त बन गया है।
मोहन: (हंसते हुए) अच्छा, इतनी गहरी दोस्ती! लेकिन कैसे पता चलता है कि यह खुश है?
राजू: (खुशी से) देखो, जब यह खुश होता है, तो इसके पत्ते ऊपर की ओर उठ जाते हैं। जैसे कि अभी हो रहा है।
(कृष्णा के पत्ते ऊपर उठ जाते हैं।)
मोहन: (हंसते हुए) वाह! यह तो सचमुच एक खास पौधा है।
राजू: (मुस्कराते हुए) हां, और इसके साथ रहकर मुझे लगता है मैं भी हर दिन खुशियों की ऊँचाई पर चढ़ रहा हूं।
(दृश्य 2: शाम का समय। मोहन अपने बालकनी में आते हैं।)
मोहन: (मुस्कराते हुए) नमस्कार, राज
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