Characters:
- राजू (Raju) - दुकानदार (Shopkeeper)
- मोहन (Mohan) - ग्राहक (Customer)
(Scene: राजू की चाय की दुकान पर एक बार बीते समय की बात है। दुकान के बाहर 'चाय की दुकान' का बोर्ड लगा है। राजू दुकान के अंदर खड़े हैं और मोहन दुकान के बाहर आता है।)
(राजू ने अपनी दुकान के सामने खड़े होते हुए मोहन का स्वागत किया।)
राजू: आओ, आओ, साहब! चाय पियो। चुटकुले बोलो, चिंता दूर भगाओ।
मोहन: हाहाहा! धन्यवाद, राजू। चाय पीने का मन था।
राजू: तो बताओ, आज कौनसा चुटकुला सुनने को मिलेगा?
मोहन: (मुस्कराते हुए) अच्छा एक सीधा-साधा चुटकुला सुनाओ।
राजू: ठीक है। (ध्यान देकर) चलो ये रहा। सुनो। एक आदमी दोस्त से: "यार, मैं रोज़ाना सुबह उठता हूं और ताज़ी चाय पीता हूं।" दोस्त ने पूछा: "वाक़ई? वो कैसे?" तो आदमी बोला: "आसान है, रात को चाय बना के बेड से बाहर रख देता हूं।" (चुटकुले के बाद राजू खुद ही हंसते हैं)
मोहन: (हंसते हुए) हा हा हा! वाक़ई मजेदार था। अब चाय पिलाओ, मजा आ गया!
(राजू चाय बनाते हैं और मोहन चाय पीते हैं।)
मोहन: राजू, तुम्हारी दुकान में एक चीज़ बहुत अलग है।
राजू: (चाय का प्याला हाथ में उठाते हुए) क्या?
मोहन: तुम्हारे पास चाय पीने के बाद दिमाग़ की ताक़त बढ़ जाती है।
राजू: (हैरान होकर) वाक़ई? ये कैसे?
मोहन: हां, जब तक मैंने चाय नहीं पी थी, मुझे ये समझ नहीं आया। लेकिन जबसे मैंने यहां से चाय पीना शुरू किया है, तो दिमाग़ की ताक़त बढ़ गई है।
राजू: (हंसते हुए) तो कहेंगे कैसे? दुकानदारी का चमत्कार है ये!
मोहन: (मजेदारी से) हां, तुम्हारी दुकान में ही कुछ जादू है।
राजू: (मिमिक्री करते हुए) अरे, हां, हां। रोज़ाना चाय पीने से आदमी ज़िंदगी के सभी सवालों के जवाब खुद ही ढूढ़ लेता है।
मोहन: (हंसते हुए) तो फिर राजू, मेरे सवाल का जवाब दो।
राजू: कौन सा स
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