ध्यान देने योग्य चीजें:
- यह एक परिवारिक हास्यजनक नाटक है जिसमें अलग-अलग चरित्रों का वर्णन है।
- प्रत्येक चरित्र की बोलचाल हिंदी में होगी।
- चरित्रों के बीच में खास वार्तालाप और हास्यसंवाद होगा।
संपर्क सूत्र:
- मोहन - परिवार का मुखिया, तंबाकू पीने वाला मध्यम वयस्क।
- गीता - मोहन की पत्नी, संवेदनशील, उत्साही और मुलायम व्यक्तित्व।
- राजू - उनका बेटा, शरारती, सेल्फी मारने का शौकीन।
- रीना - उनकी बेटी, ग्लैमरस, स्मार्ट, सेल्फी क्रेजी।
- दादी माँ - परिवार की बुजुर्ग, खुलमखुला, सभी का साथ देने वाली।
- पडोसी - अनिच्छुक, परेशानी और मजेदार चरित्र।
(ध्वनि संचय से सेना के साथ प्रारंभ होता है)
कथा:
(मोहन और गीता रसोई में बिताते हैं, राजू और रीना लाइविंग रूम में समय बिता रहे हैं, और दादी माँ आराम से बाग में घूम रही हैं।)
सीन 1: रसोई
(मोहन चाय का प्याला लेते हुए बोलते हैं)
मोहन: (हास्यपूर्वक) गीता, ये तो तुम्हारे बेटे राजू की तरह तो नहीं हो गया? सेल्फी वेल्फी का शौक जाता ही नहीं!
गीता: (मुस्कराते हुए) हाँ, मोहन। वैसे भी, आजकल के नौजवान अपने सेल्फी के बिना ही जी नहीं पाते हैं।
सीन 2: लाइविंग रूम
(राजू अलग-अलग अंदाज में सेल्फी खींच रहा है। रीना भी इसमें शामिल हो जाती है।)
राजू: (उत्साह से) देखो, माँ! इस सेल्फी को तो लाजवाब लिए आया हूं।
रीना: (उत्साहपूर्वक) अच्छा है, भाई। लेकिन देखो, मैंने तो आजतक तुम्हारे सेल्फी को भी टक्कर नहीं लगाई।
सीन 3: बाग
(दादी माँ बाग में घूम रही हैं, और पडोसी उनसे टकरा जाते हैं।)
पडोसी: (तेजी से भागते हुए) अरे दादी माँ, रुकिए, आपकी सेल्फी खींचने हैं।
दादी माँ: (हँसते हुए) क्या बकवास है ये, बेटा? मुझे तो सेल्फी का नया शौक हुआ है।
(दादी माँ और पडोसी मिलकर सेल्फी खींचते हैं)
सीन 4: रस
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