Title: आलसी संतूलाल (Lazy Santulal)
Characters:
- संतूलाल (Santulal) - एक आलसी और बेहद नींद में खोया हुआ व्यक्ति। (A lazy and perpetually sleepy person.)
- राजू (Raju) - संतूलाल का दोस्त। (Santulal's friend.)
(एक खाली कमरे में, दो सोफे हैं। संतूलाल एक सोफे पर आराम से सो रहा है। राजू दूसरे सोफे पर बैठा है।)
संतूलाल: (अवचेतन में) राजू, आज मेरे सपने में एक चिड़िया आ रही थी। वो चिड़िया ज्यादा बोलती थी।
राजू: (हंसते हुए) वाह, भाई, तुम्हारे सपने तो कमाल के होते हैं। मेरे सपने में तो आज भी बिलकुल वैसे जानवर आए, जैसे हमारे पुरखे होते थे - सिंह, हाथी, राजा, तमाशबीन...
संतूलाल: (बेहोशी में) हाथी... राजा... तमाशबीन... (बिलकुल नींद में) मम्मी, राजू को बोलो नाचने न आए।
राजू: (चुकले मारते हुए) अरे, भाई, मैं ही तो राजू हूँ। आपके मम्मी तो नहीं हूँ।
संतूलाल: (आंखें खोलते हुए) अरे राजू, तुम! सोचा मम्मी आ गई मेरी नींद खुलवाने।
राजू: भाई, तुम भी ना, इतनी नींद कैसे कर लेते हो?
संतूलाल: वो तो रोज़ की बात है। आलस्य ही ऐसा है।
राजू: (समझाते हुए) अब तुम्हारी नींद का इलाज करने का समय आ गया है। चलो, उठो और कुछ काम करो।
संतूलाल: (आलस्यपूर्ण भाव से) अच्छा बाबूजी, बताओ, आज कौन सा काम करें?
राजू: आज हमें बाज़ार जाना है।
संतूलाल: (जाने के बाद सोफे पर लेट जाते हैं) अच्छा, तो आज का काम ख़त्म।
राजू: (नाराज़ी भरे अंदाज़ में) नहीं, नहीं! बाज़ार जाना है, समझे?
संतूलाल: (आलस्यपूर्ण भाव से) अच्छा बाज़ार जाते हैं, पर उससे पहले थोड़ी सी नींद और ले लूँ?
राजू: (हंसते हुए) हा-हा, बिलकुल सही कहा। चलो, आराम से तैयार हो जाओ, फिर बाज़ार चलेंगे।
(दोनों दोस्त बाज़ार जाते हैं, संतूलाल ने राजू का हाथ पकड़ा हुआ है और वो आलस्यपूर्ण अंदाज़ में बाज़ार में चलते हैं।)
--- स्क्रिप्ट समाप्ति ---
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